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किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार / शैलेन्द्र
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04:59, 28 फ़रवरी 2010
जले बहार के लिए, वो ज़िन्दगी
किसी को हो न हो, हमें है
ऎतबार
एतबार
:::::जीना इसी का नाम है
रिश्ता दिल से दिल के
ऎतबार
एतबार
का
ज़िन्दा है हमीं से नाम प्यार का
Sandeep Sethi
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