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रात पाली / कुमार सुरेश
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[[रात पाली]]
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|रचनाकार=कुमार सुरेश
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<poem>हर ओर क्षितिज कि सड़क
गाढ़े कोलतार से ढँक जाती है
चलना दुश्वार हो जाता है
जब मैं सो जाता हूँ
अक्सर रात कि सुहानी नींदों का ख्वाब
देखता
हूँ.
हूँ।
</poem>
अनिल जनविजय
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