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नई शुरूआत / अरुण देव
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15:42, 7 मार्च 2010
एक दिन गली बुहारी जाए
नाली
साफ
साफ़
की जाए
पर उससे पहले मन के कपट को आँसुओं से धो लिया जाए
</poem>
अनिल जनविजय
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