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मेरा मींजा दिल / रघुवीर सहाय
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19:13, 7 मार्च 2010
मैं सुनता था। कोई छू ले कहीं
मेरी पीठ नहीं- आना जाना लोगों का
हंसना
हँसना
गन्धाना- सीने में भरे साबूदाना
दाँतों की चमक सुथरी नाकें- वह रोज़-रोज़
इस रोज़ आज कल भी मुझ पर झुक जाएगी
अनिल जनविजय
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