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प्रस्तावना / अशोक वाजपेयी

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है।
प्रेम अपना अनन्त रचता है,थोड़ी देर के लिए सही। वह संस्कृति,
समाज और समय को अतिक्रमित करता है। वह पृथ्वी, आकाश
वनस्पतियों, जल और पवन, शब्दों और स्मृतियों सबको रूपक
हमारा समय अगर विचित्र नहीं तो थोड़ा असामान्य ज़रूर है कि
इसमें प्रेम-कविता करने का बचाव करना पड़ता है। मैंने तो सारा
जीवन कविता की पाँच जिल्दें लिखी हैं : प्रेम, मृत्यु,घर, कला,
संसार की जिल्दें। यह संग्रह अधिकतर क्राकोव और पेरिस प्रवास के
दौरान लिखा गया। उसमें वर्ष 2003 में लिखी गई सभी प्रेम-कविताएँ
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