{{KKRachna
|रचनाकार= ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
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गिला है शौक़ को दिल में भी तंगी-ए-जा<ref>जगह की तंगी</ref> का
गुहर<ref>मोती</ref> में मह्व महव<ref>लीन</ref> हुआ इज़्तराब<ref>तड़प</ref> दरिया का
ये जानता हूँ कि तू और पासुख़ेपासुख़-ए-मकतूब<ref>ख़त का जवाब</ref>मगर सितमज़दा<ref>सताया हुआ</ref> हूँ ज़ौक़े-ख़ामा-फ़र्सा<ref>लिखने कलम घिसने की आदत</ref>का
हिना-ए-पा-ए-ख़िज़ां<ref>पतझड़ के पैरों की मेंहदी</ref> है बहार , अगर है यही
दवाम<ref>हमेशा</ref> क़ुल्फ़ते-ख़ातिर<ref>दुख, क्लेश के लिए</ref> है ऐश दुनिया का
ग़मे-फ़िराक़<ref>विरह के दु:ख</ref>में तकलीफ़-सैरे-बाग़ गुल<ref>बाग़ गुलाबों में सैर का कष्ट</ref>न दो मुझे दिमाग़ <ref>मन</ref> नहीं ख़न्दा -हाए-बेजा<ref>अकारण हँसना </ref> का
हनोज़हनूज़<ref>अभी</ref> महरमी-ए-हुस्न<ref>रूप से परिचय</ref> को तरसता हूँकरे है हर बुने-मू<ref>केश-राशिबाल की जड़</ref> काम चश्मे-बीना<ref>देख सकने वाली आँख</ref> का
दिल उसको पहले ही नाज़ो-अदा से दे बैठे
हमें दिमाग़ कहां हु्स्न के तक़ाज़ा का
न कह कि गिरियांगिरिया<ref>रुदन</ref> बमिक़दारे-हसरते-दिल<ref>दिल की हसरत के अनुपात से</ref> हैमेरी निगाह में है जमओ़-ख़र्चख़रज<ref>उतार-चढ़ाव</ref> दरिया का
फ़लक को देखके करता हूँ उसको याद ‘असद’
जफ़ा <ref>गुस्से</ref> में उसकी है अन्दाज़<ref>ढंग</ref> कारफ़रमा<ref>प्रियवरहुकमदान</ref> का
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