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12:48, 17 अप्रैल 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
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<poem>
रावरे पठाए जोग देन कौं सिधाए हुते
::ज्ञान गुन गौरव के अति उदगार में ।
कहै रतनाकर पै चातुरी हमारी सबै
::कित धौं हिरानी दसा दारुन अपार में ॥
उड़ि उधिरानी किधौं ऊरध उसासनि में
::बहि धौं बिलानी कहूँ आँसुनि की धार में ।
चूर ह्वै गई धौं भूरि दुख के दरेरनि में
::छार ह्वै गई धौं बिरहानल की झार में ॥110॥
</poem>