Changes

{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=विनोद कुमार शुक्ल |संग्रह=सब कुछ होना बचा रहेगा / विनोद कुमार शुक्ल}}{{KKCatKavita‎}}<Poem>सूखा कुऑं कआँ तो मृत है<br />बहुत मरा हुआ<br />कि आत्‍महत्‍या करता है<br /><br />अपनी टूटी मुंडेर से<br />अपनी गहराई भरता हुआ<br />कुऍं के खोदने से निकले हुए<br />पत्‍थरों से<br />जो मुंडेर बनी थी<br /><br />कुऍं कुएँ के तल की कुंआसी कुँआसी इच्‍छा<br />उसकी अंदरूनी गहरी<br />बारूद से तड़कने की<br />परन्‍तु अपने ही निकले हुए पत्‍थरों और मिट्टी से<br />भरता हुआ कुऑं<br />कुआँकुऑं कुआँ न होने की तरफ लौट रहा है,<br />अब यह पलायन था कुऍं का<br />गॉंव पहले उजाड़ हो चुका था<br /><br /poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,214
edits