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मदिराधर कर पान, सखे! / सुमित्रानंदन पंत
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06:18, 19 मई 2010
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<poem>
मदिराधर कर पान
,
सखे, तू न धर न जुमे का ध्यान,
लाज स्मित अधरामृत कर पान!
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