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उजालों की परियाँ / बशीर बद्र
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16:46, 20 मई 2010
*[[जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे / बशीर बद्र]]
*[[हर जनम में उसी की चाहत थे / बशीर बद्र]]
*[[वो
चाँदनी
चांदनी
का बदन ख़ुशबुओं का साया है / बशीर बद्र]]
*[[यूँ ही बेसबब न फिरा करो / बशीर बद्र]]
*[[मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला / बशीर बद्र]]
द्विजेन्द्र द्विज
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