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जंग किसी के लिए वांछनीय नहीं होती / लाल्टू
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06:51, 24 मई 2010
हैं झूठ जो कथाएँ सुनीं तलवार और ढाल की
ओ
जंगखोरो
जंगख़ोरो
! तुम कितना मुनाफा चाहते हो
गया ज़माना कि जादू चला जाए तुम्हारा बयान
लोग डरते हैं पर जानते हैं सारा सच
अनिल जनविजय
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