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उनकी साँसें मुझमें चल रहीं / लाल्टू
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|रचनाकार=लाल्टू
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Poem
poem
>
वे अनजान नहीं हैं उनकी साँसें मुझमें चल रहीं
घर बाज़ार धरती आसमान जहाँ भी
अनिल जनविजय
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