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कल चिंताओं से रात भर गुफ़्तगू की / लाल्टू
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Poem
poem
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कल चिंताओं से रात-भर गुफ़्तगू की
बड़ी-छोटी, रंग-बिरंगी चिन्ताएँ
अनिल जनविजय
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