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07:32, 26 मई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}
हलाहल और अमिय, मद एक,
एक रस के ही तीनों नाम,
कहीं पर लगता है रतनार,
कहीं पर श्वेत, कहीं पर श्याम,
:::हमारे पीने में कुछ भेद
:::कि पड़ता झुक-झुक झुम,
:::किसी का घुटता तन-मन-प्राण,
:::अमर पद लेता कोई चूम।