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धुएँ से भी / विजय कुमार पंत
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10:37, 1 जून 2010
धुएँ से भी कभी अंदाज़ कर लेना
जला है क्या..
कभी उड़ते
गुब्बारों
गुबारों
से समझ लेना
चला है क्या..
Abha Khetarpal
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