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07:15, 17 जुलाई 2006 लेखक: [[भवानीप्रसाद मिश्र]]
[[Category:भवानीप्रसाद मिश्र]]
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मैंने निचोड़कर दर्द<br>
मन को<br>
मानो सूखने के ख्याल से<br>
रस्सी पर डाल दिया है<br><br>
और मन<br>
सूख रहा है<br><br>
बचा-खुचा दर्द<br>
जब उड़ जायेगा<br>
तब फिर पहन लूँगा मैं उसे<br><br>
माँग जो रहा है मेरा<br>
बेवकूफ तन<br>
बिना दर्द का मन !<br><br>