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यूँ है कि... / गोबिन्द प्रसाद
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,
06:51, 12 जून 2010
ऐसे में
होना
चहता
चाहता
हूँ शीशा दिल
(मगर कहाँ से लाऊँ मैं वो शफ़्फ़ाक दिल)
अनिल जनविजय
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