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इक नई कशमकश से गुज़रते रहे
रोज़ जीते रहे रोज़ मरते रहे

हमने जब भी कही बात सच्ची कही
इसलिए हम हमेशा अखरते रहे

कुछ न कुछ सीखने का ही मौक़ा मिला
हम सदा ठोकरों से सँवरते रहे

रूप की कल्पनाओं में दुनिया रही
खुशबुओं की तरह तुम बिखरते रहे

जिंदगी की परेशानियों से “यती”
लोग टूटा किये , हम निखरते रहे
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