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घरों की कभी वो बनावट न देखी / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
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15:41, 25 जून 2010
कसे तो रहे , कसमसाहट न देखी !
वहां
पनपती
वहां
बांझ-सी इक शिथिलता ,
कि कोई जहां कुलबुलाहट न देखी !
द्विजेन्द्र द्विज
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