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17:13, 25 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=हास्य नहीं, व्यंग्य / रमेश कौशिक
}}
<poem>
बुढापा - खेत में खड़ा एक डरावना
बिजूका
बुढापा - एक पका हुआ फल जिसके
टूटने का इंतज़ार
बुढापा - रात में खाँसता
घर का चौकीदार
बुढापा - दवाई का बढ़ा हुआ खर्च
बुढापा - पल-पल एक याचना
बुढापा - मेरे चहरे पर दिखाई
देती तस्वीर
बुढापा - महाशून्य में घूमता
धूमकेतु .
</poem>