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18:20, 25 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=हास्य नहीं, व्यंग्य / रमेश कौशिक
}}
<poem>
जब बच्चा था
अगर कभी मैं रो देता था
दादी अम्मा कहती मुझसे
पुलिस पकड़ कर ले जाएगी
वरना जल्दी से चुप हो जा .
अब जब बड़ा हुआ तो
मैं यह सोच रहा हूँ
दादी अम्मा तुम झूठी थीं
रोता देख पुलिस खुश होती
हँसता देख पकड़ ले जाती.
</poem>