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19:26, 25 जून 2010 {{KKGlobal}}
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| रचनाकार=रमेश कौशिक
| संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक
}}
<poem>
जब वह डूब रहा था
तब मैंने उसे
बचाया था
इसलिए नहीं कि
मेरे मन में
दया-भाव आया था
वरन् इसलिए
कि उसकी कृतज्ञता के
कंधों पर
खड़ा हो सकूँ
बौनों की दुनिया में
इस तरह बड़ा हो सकूँ.
</poem>