गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
राजकुमारी-1 / नीरज दइया
460 bytes added
,
02:58, 30 जून 2010
नया पृष्ठ: <poem>वह जा रही थी अपने घर बैठ कर रिक्शा में लगी- राजकुमारी-सी ! मैंने …
<poem>वह जा रही थी
अपने घर
बैठ कर रिक्शा में
लगी- राजकुमारी-सी !
मैंने कुछ नहीं किया
मैं जल्दी में था ।
बस खुशी छ्लकी
अपने आप ।
उसने भी
देखा होगा जल्दी में,
मगर किसे-
मुझे या खुशी को ?
</poem>
Neeraj Daiya
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits