Last modified on 30 जून 2010, at 08:28

राजकुमारी-1 / नीरज दइया

वह जा रही थी
अपने घर
बैठ कर रिक्शा में
लगी- राजकुमारी-सी !


मैंने कुछ नहीं किया
मैं जल्दी में था ।
बस खुशी छ्लकी
अपने आप ।


उसने भी
देखा होगा जल्दी में,
मगर किसे-
मुझे या खुशी को ?