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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
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<poem>

मुझे प्रेम करने की आदत पड़ चुकी है

दरअसल एक तकियाकलाम हूं मैं
मुझे दोहराओ-दोहराओ
पुराने गाने की एक प्रीतिकर धुन

अपने लबादे से निकाल कर
तुम्‍हें दूंगा मैं
डोरियों वाला कपड़े का बटुआ
और रहस्‍यमय चिलगोजे
दिखाऊंगा
रूपहली लडियों से झमकता
एक दुपलिया दस्‍ती शीशा
जो खुल जाता है किताब की तरह
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