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काबुलीवाला–1 / वीरेन डंगवाल
Kavita Kosh से
मुझे प्रेम करने की आदत पड़ चुकी है
दरअसल एक तकियाकलाम हूं मैं
मुझे दोहराओ-दोहराओ
पुराने गाने की एक प्रीतिकर धुन
अपने लबादे से निकाल कर
तुम्हें दूंगा मैं
डोरियों वाला कपड़े का बटुआ
और रहस्यमय चिलगोजे
दिखाऊंगा
रूपहली लडियों से झमकता
एक दुपलिया दस्ती शीशा
जो खुल जाता है किताब की तरह
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