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14:29, 1 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कर्णसिंह चौहान
|संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / कर्णसिंह चौहान
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
राह किनारे
जीवन के मतलब से हारे
झेल शीत के झोंके दिन भर
खोज रहे वे प्यार अनदिखा
देह अस्थि की अगिन सहारे
<poem>