680 bytes added,
07:17, 2 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
लाल-झर-झर-लाल-झर-झर-लाल
हरा बस किंचित कहीं ही जरा-जरा
बहुत दूरी पर उकेरे वे शिखर-डांडे श्वेत-श्याम
ऐसा हाल!
अद्भुत
लाल!
बकरियों की निश्चल आंखों में
खुमार बन कर छा गया
आ गया
मौसम सुहाना आ गया
00