Changes

नया पृष्ठ: <poem>इस बार होगा जमाना धान से भरेंगे कोठार बाबा करेंगे पीले हाथ मेरे…
<poem>इस बार होगा जमाना
धान से भरेंगे कोठार
बाबा करेंगे
पीले हाथ मेरे
यह सपने देखे थे
साल-दर-साल
पर हर साल
सब जीमता गया अकाल ।

इस बार
जब फिर सावन आया
आकाश में कुछ तैर आया
मैंने सपने
और बाबा ने बीज बोया
मगर इस बार फिर
वही हुआ
बाबा के बीज और मेरे सपने
झुलसती/ उफनती/ बिफरती रेत में
जल गए ।

अब
न बाबा के पास बीज हैं
न मेरे पास सपने
न आस/
न इच्छा ।

</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits