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09:53, 5 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पत्ता हिलता है
तो मेरी नींद में
जाग पड़ती हैं हज़ारों चिड़ियाँ
चौंक कर
पखों को समेटे
फिर सिमटकर
सो जाती हैं मेरे सपनों में
<poem>