गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तृप्ति / मनोज श्रीवास्तव
460 bytes added
,
11:08, 5 जुलाई 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ''' तृप्ति ''' …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
''' तृप्ति '''
गरम-गरम बातों की
अंगीठी पर
संतोष की रोटियां
सेंककर
तृप्त होने से,
तुम्हारे पापी पेट की जुबान
बंद नहीं हो जाएगी.
Dr. Manoj Srivastav
635
edits