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अरण्यानी / त्रिलोचन
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14:51, 12 जुलाई 2010
देखो, जितने तुम्हारे पास तारे हैं
मेरे पास फूल हैं
मेरे इन
फूलों की भाषा सुवास है
उन का कोलाहल सुगंधित है
वन्यमृग मेरे पास आते हैं
दीर्घ साँस लेते हैं
और
खड़े रहते हैं
</poem>
अनिल जनविजय
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