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अँधेरे में / चंद्र रेखा ढडवाल
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01:24, 17 जुलाई 2010
किताबों के पन्ने भी
रखती रही उनमें
तितलियों के
प्पर
पर
भी
उकेरती रही नखों से
हाशियों में अपने लिए
लहुलुहान हथेलियों को
छापती रही कोरे काग़ज़ पर
दीवार
परादमी की पीठ
पर /धूप और बारिश
पर
ज्यूँ की त्यूँ
ताकि आने वाली पीढ़ियों को
द्विजेन्द्र द्विज
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