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14:08, 18 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=कहाँ हैं वे शब्द / रमेश कौशिक
}}
<poem>
आ गया मधुमास
देह्तन्त्री के खिचें हैं तार
कामनाओं के सहज स्पर्श से
बजने लगेंगे
खोज लाएँगे
किसी अनजान स्वप्निल लोक से
अब प्यार|
</poem>