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निराला के नाम / ओम पुरोहित ‘कागद’
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20:32, 19 जुलाई 2010
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|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद
|संग्रह=धूप क्यों छेड़ती है / ओम पुरोहित कागद
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poem
Poem
>रे निराला !
क्यों तूने उस पगडंडी को चुना,
जो अजगर के मुंह में खत्म होती है?
अनिल जनविजय
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