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इश्क़ से तबियत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया / ग़ालिब
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06:30, 28 अगस्त 2010
हाले-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी,<br />
हमने बारहा ढूँढा तुमने बारहा पाया ।<br />
शोरे-पन्दे-नासेह ने ज़ख्म पर
नामक
नमक
छिड़का,<br />
आपसे कोई पूछे, तुमने क्या मज़ा पाया ।<br />
Paru kharayat
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