गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ / ग़ालिब
47 bytes added
,
14:01, 28 अगस्त 2010
{{KKCatGhazal}}
<Poem>
ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार
<ref>प्रिय से मिलन </ref>
होता
अगर और जीते रहते यही इन्तज़ार होता
Aadil rasheed
98
edits