गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बीती विभावरी जाग री / जयशंकर प्रसाद
10 bytes added
,
00:42, 10 सितम्बर 2010
तारा घट ऊषा नागरी।
खग
-कुल
कुल-कुल सा बोल रहा
किसलय का अंचल डोल रहा
लो यह लतिका भी भर लाई
Shuklaalok7
15
edits