{{KKRachna
|रचनाकार=श्यामनारायण पाण्डेय
|संग्रह=जौहर / श्यामनारायण पाण्डेय
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कट गया सवार गिरा भू पर,
घोड़ा गिरकर दो टूक हुआ॥
क्षण हाथी से हाथी का रण,
क्षन घोड़ों से घोड़ों का रण।
हथियार हाथ से छूट गिरे,
क्षण कोड़ों से कोड़ों का रण॥
क्षण भर ललकारों का संगर,
क्षण भर किलकारों का संगर।
क्षण भर हुंकारों का संगर,
क्षण भर हथियारों का संगर॥
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