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07:10, 21 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
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रचनाकार=सर्वत एम जमाल
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<poem>
सुख भरे वातावरण की खोज में
लोग निकले स्वर्ण-कण की खोज में
आईने चमके तो भगदन मच गई
सब के सब थे आवरण की खोज में
पाँव उसके अब धरा पर हैं कहाँ
विश्व है जिसके चरण की खोज में
बेझिझक कह दीजिये अब दिल की बात
मत भटकिये व्याकरण की खोज में</poem>