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06:26, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जिनको नहीं चाहिए अधिक
बहुत है दो जून की रोटी
और गाने की छूट
बुहार सकते हैं जो
आसमान और धरती
डरता है उनसे खुदा भी