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डरता है / लीलाधर मंडलोई
Kavita Kosh से
जिनको नहीं चाहिए अधिक
बहुत है दो जून की रोटी
और गाने की छूट
बुहार सकते हैं जो
आसमान और धरती
डरता है उनसे खुदा भी