786 bytes added,
08:05, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जैसे बनाती हैं सड़कें
पानी को पार करती हैं एकजुट
पहाड़ों पर चढ़ती हैं
युद्ध करती हैं अपनी सेना के साथ
अनाधिकार घुसने नहीं देती
किसी को अपने इलाकों में
कर सकती है चीटियां जैसा
कर सकते हैं हम भी
देखो अमरीका घुसा आ रहा है जबरन