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08:09, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
ईंट, गिट्टी ढोते हुए
बेडौल हो गया है यह तसला
कितनों दिनों से
बजाना इसे बंद हुआ
एक उम्र से जैसे
गाना मेरा बंद हुआ