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08:15, 29 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जब फैलता है दंगा
कुछ ही के पास होते हैं
अनुमति पत्र
बांटते हुए रोटी और कपड़े
वहीं बांटते हैं हथियार
और निकल जाते हैं
उस मोहल्ले की तरफ
जहां अभी तक शांति है