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17:16, 16 अक्टूबर 2010 {{KKGlobal}}
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रचनाकार=सर्वत एम जमाल
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<poem>
चलो माना कि अंधियारे रहेंगे
मगर आकाश पर तारे रहेंगे
बस इक हम जब तलक है तुम में, हम में
कबीले और बंजारे रहेंगे
मेरी कोशिश चमन गुलजार कर दूँ
चमन कहता है अंगारे रहेंगे
सरक जाएगी पैरों से जमीं भी
अगर हाथ में गुब्बारे रहेंगे
ये कडुवा सच कोई पूछे तो क्यों कर
जब अफवाहों के चटखारे रहेंगे
नदी में डूबने वाले बहेंगे
उसी जानिब जिधर धारे रहेंगे
गिरें कितनी भी नदियाँ उनमें सर्वत
समुन्दर तो सदा खारे रहेंगे</poem>
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