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फ़र्ज़ की बंदिश में दिल ये प्यार से मज़बूर है / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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07:55, 19 अक्टूबर 2010
हर तमन्ना किस कदर हालात से मज़बूर है
कुत्ते की दुम की तरह
टेढा
टेढ़ा
रहा उस का मिज़ाज
तेरी हर कोशिश दिवाने देख थक कर चूर है
अनिल जनविजय
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