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मन एवं मनुष्याणां / प्रसन्न कुमार चौधरी
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08:39, 25 अक्टूबर 2010
<poem>
1.
जन्मने की अनगिनत कहानियाँ
हंै
हैं
इनमे सागर
हंै
हैं
, सीपियाँ हैंधरा है, घट-पनघट है,
नदियां
नदियाँ
हैंकायिक अंग
हंै
हैं
, वाचिक मंत्र हैं, कर्म हैं
अम्बर है, अग्नि है, अनिल और दिशाएं हैं..............
जन्मने की अनगिनत कहानियाँ हैंं
अनिल जनविजय
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