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बदलाव / सत्यनारायण सोनी

146 bytes added, 19:56, 30 अक्टूबर 2010
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सत्यनारायण सोनी |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>बचपन में लिखे थे उसने
कुछ अपशब्द
दीवार की छाती पर.
अब कई गुणा होकर
पोत देना चाहता है वह उन्हें
एक ही झटके में
एक साथ.
बेटी जो
इसी गली से
स्कूल जाने-आने लगी है.
</poem>
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