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जिस दिन से आए / रमेश रंजक
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15:04, 5 नवम्बर 2010
नाम नहीं लेते जाने का
घर की लिपी-पुती बैठक से
कम
काम
ले रहे
तहखाने
तहख़ाने
का
धक्के मार निकालूँ कैसे ?
ये मुझसे तगड़े हैं ।
</poem>
अनिल जनविजय
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